Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 May 2024 · 5 min read

कुदरत और भाग्य……एक सच

शीर्षक – मेरा भाग्य और कुदरत के रंग….एक सच

*****************************

हम सभी जानते हैं कि जीवन में बस एक समय ऐसा आता है कि आप और हम सभी मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच समझते हैं। आज हम सभी आधुनिक समाज और समाजिक जागरूकता के साथ साथ रहते हैं। परन्तु हम सभी अपने जीवन को अपने अनुकूल और अनुसार सहयोग करते हैं। क्योंकि सच तो हम सभी जानते हैं। कि कुदरत और भाग्य प्रकृति के साथ हम सभी होते हैं। क्योंकि हम सभी जीवन में भाग्य कुदरत के साथ जुड़े होती है जिससे हमारे सभी के जीवन में उतार-चढ़ाव होते हैं जिससे हमारे जीवन को जीनेकी राह समाज के प्रति नजरिया भी मिलता है और हम सभी समाज के साथ-साथ अपने किरदार जीवन में जोड़ते रहते है। और एक समाज का निर्माण होता है और उसे समाज के साथ-साथ आप और हम तरह-तरह की किरदार निभाते हुए अपनेजीवन को एक राह पर ले जाते हैं और उसे रह केसाथ-साथ अपने जीवन को जन्मसे लेकर मृत्यु तक सभी पड़ावों पर अपने-अपने कर्म करते हैं।

आज यह कहानी के किरदार आप और हम साथ में समाज के साथ रंगमंच पर किरदार निभाते हैं। जिससे हमारे जीवन में आप और हम सभी तरह तरह के किरदार निभाते हैं इन किरदारों में समाज के साथ हम अधिकारी व्यवसाय और मजदूर शिक्षा जगत के साथ नारी का जीवन भी होता हैं। हम सभी समाज में रहते हैं और एक-दूसरे को समझना और प्रतिस्पर्धा के साथ हम एक दूसरे को मन भावों में रिश्ते नाते रखते हैं। जिससे आप और हम सभी अपने अपने किरदारों को निभाने वाले होते हैं।

मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच को हम सभी समझते कहां हैं। और समाज के साथ हम तरह तरह के किरदार निभाते हैं। नारी और पुरुष समाज के साथ साथ रहते हैं साथ साथ एक किन्नर भी होते हैं जिनका आप और हम सभी समय के साथ-साथ सम्मान करते हैं। परन्तु समाज के स्तर पर हम सभी जानते हैं। परन्तु आज हम सभी अपने स्वार्थ और फरेब मन भावों में रखकर जीवन की राह में चलते हैं। आज हमें किन्नरसमाज को भी सहयोग करना चहिए।

नारी और पुरुष ही संसार में संसारिक आकर्षण के साथ अपने मतानुसार अपनी सोच एक दूसरे के साथ रखते हैं। केवल तुलनात्मक दृष्टि से धन और संपत्ति के साथ आर्थिक स्थितिनुसार हम सभी अपने जीवन को जीते हैं। और समाज में अपना अपना अभिनय निभाते हैं। आप कहानी पढ़ रहे हैं हम लेखक स्वरूप लिख रहे हैं।

आप नारी और हम पुरुष है जहां जन्म के साथ-साथ जीवन की राह शुरू होती हैं। और जन्म से बचपन का सफर एक अल्हड़ता और मौज मस्ती का सहयोग होता हैं। न चिंता न फिक्र बस अपने मन और विचारों को कहना समझना हैं।। और न समाज न सोच वह सभी दायित्वों का सहयोग हमारा परिवार करता है। और बस हम अपनी शिक्षा और खेलकूद में जीवन व्यतीत करते हैं।

अब बचपन से जवानी के साथ-साथ हमारे मन भावों में रिश्ते नाते और इश्क मोहब्बत के साथ शारीरिक संबंध उत्तेजना और आकर्षण का सहयोग होता हैं। बचपन से जवानी की दहलीज उतावलेपन और बहुत कम ही समझदारी होती हैं। क्योंकि यही वह उम्र होती है जिसमें हम सभी के कदम बहक भी जाते हैं और बन भी जाते हैं। और इसी उम्र में हम सोते भी बहुत कम है परंतु निर्णय लेने में जल्दबाजी भी दिखा देते हैं तभी तो बचपन से जवानी की उम्र बहुत नाजुक उम्र होती है और इसी उम्र में परिवार के लोग बच्चों का ख्याल रखते हैं फिर भी हम अपने भाग्य का कुदरत के रंग के साथ-साथ जीवन जीते हैं। और इसी उम्र में हमारा इश्क मोहब्बत शारीरिक उत्तेजना है शारीरिक के काम वासनाएं मन भावनाओं के साथ-साथ सांसारिक आकर्षक और इच्छाओं का आमंत्रण हमारे मन भागों में प्रबल होता है। सबसे महत्वपूर्ण उम्र यही होती है ऐसा नहीं इस महत्वपूर्ण उम्र में हम विवाह या अन्य संस्कार नहीं जानते हम सब जानते हैं और इसी उम्र में हम शारीरिक बंधन और अच्छा बुरा सब समझते हैं।

जवानी और बुढ़ापे की सोच राह शुरू होती है। इस उम्र में हम अपने परिवार अपनी और परिपक्वता के साथ मतलब और स्वार्थ के संबंधों को महत्व देते हैं। क्योंकि आप और हम एक सामाजिक रूप में जीवन व्यतीत करते हैं और जीवन व्यतीत के साथ-साथ हमारे चारों तरफ का वातावरण हमारे अपने व्यवहार और सोच के साथ बनता है जिससे हम अपने आगे के जीवन और बुढ़ापे की राह को एक अच्छा बनाना चाहते हैं परंतु यहां तक पहुंचते पहुंचते हम सभी जन्म से लेकर जवानी तक जैसा वातावरण बनाते हुए आते हैं वैसा ही हम अपने जीवन में एक दूसरे के साथ विचार और सहयोग करते हैं।

मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच और सामाजिक राह है। आप और हम सभी सांसारिक प्राणी जीवन के किरदार हैं जो की तरह-तरह के अपने पटल पर अपनी अभिन्न क्षमता रंगमंच पर दिन प्रतिदिन सुबह से शाम तक दिनचर्या के रूप में दिखाते हैं। और एक समय ऐसा भी आता है जब हम बुढ़ापे से अंत की ओर बढ़ते हैं उसे समय हमें अपने साथ सहयोग की बहुत जरूरत होती है और यह जरूर हमारे अपने व्यवहार कुशलता के साथ चले आए जीवन में एक रह के साथ जुड़ी होती है क्योंकि जैसा हमने जीवन के प्रथम हिस्से में बोया होता है। उसी के अनुसार हम अंत में फसल काटते हैं आज आधुनिक युग में हमारा जीवन आकर्षक और शारीरिक क्षमताओं के साथ-साथ धन और संपत्ति का महत्व रखता है जिससे हम सभी अपने-अपने जीवन को जीते हैं। बस जीवन में हम सभी की सोच और इच्छाएं बहुत होती हैं। फिर भी ऐसे ही सोचते हुए जन्म से बुढ़ापे और जीवन जीते हैं।

एक सच यही हैं कि हम सभी एक दूसरे को समझते नहीं है क्योंकि हम सभी अपने जीवन में यह भूल जाते हैं कि हम सभी मानव समाज में रहते हैं और सभी का जीवन और भाग्य समय के एक सच को कहता हैं। और वह जीवन का सच एक मृत्यु हैं। आओ हम सभी एक दूसरे को सहयोग करते हैं और जीवन में हम सभी एक-दूसरे को सहयोग करते हैं।।

नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

Language: Hindi
110 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दिल की दुनिया सबसे अलग है
दिल की दुनिया सबसे अलग है
gurudeenverma198
*नववधु ! कभी किसी की झूठी, बातों में तुम मत आना (गीत)*
*नववधु ! कभी किसी की झूठी, बातों में तुम मत आना (गीत)*
Ravi Prakash
मिट्टी
मिट्टी
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अगर पात्रता सिद्ध कर स्त्री पुरुष को मां बाप बनना हो तो कितन
अगर पात्रता सिद्ध कर स्त्री पुरुष को मां बाप बनना हो तो कितन
Pankaj Kushwaha
!! होली के दिन !!
!! होली के दिन !!
Chunnu Lal Gupta
"शरीफ कम, समझदार ज्यादा हो गए हैं लोग ll
पूर्वार्थ
चांद भी आज ख़ूब इतराया होगा यूं ख़ुद पर,
चांद भी आज ख़ूब इतराया होगा यूं ख़ुद पर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कल की तस्वीर है
कल की तस्वीर है
Mahetaru madhukar
"बिन गुरु के"
Dr. Kishan tandon kranti
4615.*पूर्णिका*
4615.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
**जाते-जाते वो हम से वफ़ा कर गए**
**जाते-जाते वो हम से वफ़ा कर गए**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मुक्तक ....
मुक्तक ....
Neelofar Khan
सरकार हैं हम
सरकार हैं हम
pravin sharma
अपनी तस्वीर
अपनी तस्वीर
Dr fauzia Naseem shad
इश्क़ से अपने कुछ चुने लम्हें
इश्क़ से अपने कुछ चुने लम्हें
Sandeep Thakur
युद्ध नहीं अब शांति चाहिए
युद्ध नहीं अब शांति चाहिए
लक्ष्मी सिंह
कब तक बरसेंगी लाठियां
कब तक बरसेंगी लाठियां
Shekhar Chandra Mitra
#परिहास
#परिहास
*प्रणय*
💐💐दोहा निवेदन💐💐
💐💐दोहा निवेदन💐💐
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
दोहा त्रयी. . . . शमा -परवाना
दोहा त्रयी. . . . शमा -परवाना
sushil sarna
सब गोलमाल है
सब गोलमाल है
Dr Mukesh 'Aseemit'
अव्यक्त प्रेम (कविता)
अव्यक्त प्रेम (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
हमें बुद्धिमान के जगह प्रेमी होना चाहिए, प्रेमी होना हमारे अ
हमें बुद्धिमान के जगह प्रेमी होना चाहिए, प्रेमी होना हमारे अ
Ravikesh Jha
देश की आजादी की सुबह
देश की आजादी की सुबह
रुपेश कुमार
दिल में हिन्दुस्तान रखना आता है
दिल में हिन्दुस्तान रखना आता है
नूरफातिमा खातून नूरी
लला गृह की ओर चले, आयी सुहानी भोर।
लला गृह की ओर चले, आयी सुहानी भोर।
डॉ.सीमा अग्रवाल
मैं जब भी लड़ नहीं पाई हूँ इस दुनिया के तोहमत से
मैं जब भी लड़ नहीं पाई हूँ इस दुनिया के तोहमत से
Shweta Soni
किवाङ की ओट से
किवाङ की ओट से
Chitra Bisht
उन से कहना था
उन से कहना था
हिमांशु Kulshrestha
........,?
........,?
शेखर सिंह
Loading...