#कुत्ते
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★ #कुत्ते ★
उस दिन अस्तव्यस्त धवस्त बैठा था ननकू। कंधे पर हाथ धरते हुए मैंने पूछा, “क्या हुआ मित्र!”
उसने निमिषभर मुझे देखा और फिर ग्रीवा झुका ली।
“बात कह देने से दु:ख घटता है भाई, तुम कहो मैं सुनूंगा।”
“कमलेश कमल होने में कुछ दोष नहीं है भय्या लेकिन, व्यक्ति को किंचित चेतन भगत भी होना चाहिए।”
“कमलेश कमल वही न अपने जय हिंदी वाले?”
“हूँ।”
“ऐसी कैसी विवशता आन पड़ी कि दालभात और मूसलचंद एकसाथ सहेज रहे हो ननकू।”
“विवशता नहीं भय्या, आवश्यकता”, वाणी को तनिक विश्राम देकर फिर बोला ननकू, “आप मुझे अंग्रेजी पढ़ा दीजिए भय्या।”
“ननकू, पूरी बात बताओ कि हुआ क्या है?”
“भय्या, आपसे क्या छिपाएं, जबसे कैशोर्य जाने की और यौवन आने की कह रहे हम चोरीचुपके कन्याओं को निहारा करते हैं। लेकिन, कल के दिन चमत्कार हो गया जैसे। एक षोडशी बाला हमें निहारती निहोरती पायी हमने। उसकी आँखों में आमंत्रण भी था।”
“आमंत्रण कि निमंत्रण?”
“संपूर्ण कथाव्यथा सुनने के उपरांत दोनों में से जो उचित लगे उसे रख लीजिए।”
“आगे कहो।”
“मैंने व्हाट्सएप क्रमांक मांगा, उसने दे दिया।”
“फिर?”
“रात को जब सब सो गए हमने संदेश भेजा, हम आपको कैसे लगते हैं?”
“हूँ, तो फिर?”
“उसने तुरंत उत्तर दिया, CUTE !”
“साधु साधु !”
“हमारा तो सर्वांग जल उठा। एक-एक करके पाँच-सात विपल ही बीते कि मैंने लिखा, तेरे पिता कुत्ते, तेरे अग्रज व अनुज दोनों बंधु कुत्ते, तेरी माता कुत्ती और. . .और. . .और तू भी कुत्ती!”
“घोर अनर्थ किया तूने ननकू लेकिन, फिर क्या हुआ?”
“यह कुर्ते की लटकती धज्जी यह बिखरे हुए बाल और बायां गाल लाल देख रहे हैं, आपको क्या लगता है यह सब हमने अपने हाथों किया है?”
“अब?”
“अब आप मुझे अंग्रेजी पढ़ा दीजिए।”
“ननकू, कन्या का परिवार, उस परिवार का सामाजिक व्यवहार कैसा है?”
“हीरापन्ना भंडार वालों की कन्या है।”
“ननकू, मेरी यह चार पंक्तियाँ उसे अभी भेज दे।
भिखारन से भीख मांगते बुद्धि का फेर है
समझो न इसे रात यह दासता की सवेर है
जाने क्या तूने कही और मैंने क्या सुनी
मीत तेरे मेरे बीच रीति-नीति का ढेर है
आगे जो हरिइच्छा होगी होकर रहेगा।”
और आज, अभी बाजार में था कि सामने से आती एक कन्या समीप आकर खड़ी हो गई। गले में पड़ी चुनरी को सिर पर लिया, पल्लू को माथे तक खींचा और नीचे झुककर दोनों हाथों से मेरे पाँव छुए। मैंने पूछा, “कौन?”
“जी, आपके छोटकू हैं न वो ननकू जी, हम उनकी वो हैं।”
“वो CUTE वाली?”
“नहीं जी, कुत्ते वाली!”
#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०१७३१२