कुत्ता की पूंछ
कुत्ता की दुम मित्रवर, राजनीति की खान।
बिन इसके संभब नहीं, अब जन का कल्याण।।
अब जन का कल्याण, चहो गर मौज उडाना।
सकल कलाऐ छांण, सीखिऐ पूंछ हिलाना।।
यही कला अपनाय, सकल जन पावे सत्ता।
डबल रोटियां खाए, प्रात ज्यो स्नेही कुत्ता।।
कुत्ता की दुम मित्रवर, राजनीति की खान।
बिन इसके संभब नहीं, अब जन का कल्याण।।
अब जन का कल्याण, चहो गर मौज उडाना।
सकल कलाऐ छांण, सीखिऐ पूंछ हिलाना।।
यही कला अपनाय, सकल जन पावे सत्ता।
डबल रोटियां खाए, प्रात ज्यो स्नेही कुत्ता।।