Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Jun 2019 · 1 min read

कुण्लिया छंद

ईर्ष्या उर मत पालिये, हरती बुद्धि विवेक।
बात सत्य यह जानिये, देती कष्ट अनेक।।
देती कष्ट अनेक, मनुज की मति हर लेती।
सुपथ सदा ही दूर, हमें यह कुपथ ही देती।।
कहै सचिन कविराय ,बसै कब उस घर तिरिया।
मन जिनके हर वक्त, रहे ईर्ष्या ही ईर्ष्या।।
✍️पं.संजीव शुक्ल “सचिन”

1 Like · 405 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from संजीव शुक्ल 'सचिन'
View all

You may also like these posts

*इश्क़ की फ़रियाद*
*इश्क़ की फ़रियाद*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
हार का पहना हार
हार का पहना हार
Sandeep Pande
नव रात्रि में शक्तियों का संचार
नव रात्रि में शक्तियों का संचार
Santosh kumar Miri
मुझ जैसा रावण बनना भी संभव कहां ?
मुझ जैसा रावण बनना भी संभव कहां ?
Mamta Singh Devaa
अंधभक्तो को जितना पेलना है पेल लो,
अंधभक्तो को जितना पेलना है पेल लो,
शेखर सिंह
नारी , तुम सच में वंदनीय हो
नारी , तुम सच में वंदनीय हो
Rambali Mishra
जुते की पुकार
जुते की पुकार
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
संघर्षों का सत्य ( sangharshon ka Satya)
संघर्षों का सत्य ( sangharshon ka Satya)
Shekhar Deshmukh
नवदुर्गा:प्रकीर्तिता: एकटा दृष्टि।
नवदुर्गा:प्रकीर्तिता: एकटा दृष्टि।
Acharya Rama Nand Mandal
कोशिश करना आगे बढ़ना
कोशिश करना आगे बढ़ना
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
पुजारी शांति के हम, जंग को भी हमने जाना है।
पुजारी शांति के हम, जंग को भी हमने जाना है।
सत्य कुमार प्रेमी
माँ और फौज़ी बेटा
माँ और फौज़ी बेटा
Ahtesham Ahmad
2.नियत या  नियती
2.नियत या  नियती
Lalni Bhardwaj
धीरे-धीरे कदम बढ़ा
धीरे-धीरे कदम बढ़ा
Karuna Goswami
“दुमका दर्पण” (संस्मरण -प्राइमेरी स्कूल-1958)
“दुमका दर्पण” (संस्मरण -प्राइमेरी स्कूल-1958)
DrLakshman Jha Parimal
*खुद की खोज*
*खुद की खोज*
Shashank Mishra
ये वादियों में महकती धुंध, जब साँसों को सहलाती है।
ये वादियों में महकती धुंध, जब साँसों को सहलाती है।
Manisha Manjari
#अज्ञानी_की_कलम
#अज्ञानी_की_कलम
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
"सोचो जरा"
Dr. Kishan tandon kranti
🙅अचरज काहे का...?
🙅अचरज काहे का...?
*प्रणय*
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Rashmi Sanjay
डॉ. कीर्ति काले जी
डॉ. कीर्ति काले जी
डिजेन्द्र कुर्रे
विद्वत्ता से सदैव आती गंभीरता
विद्वत्ता से सदैव आती गंभीरता
Ajit Kumar "Karn"
प्रेम के खत न मैं लिख सकूंगा सनम।
प्रेम के खत न मैं लिख सकूंगा सनम।
अनुराग दीक्षित
मंजर
मंजर
Divya Trivedi
4764.*पूर्णिका*
4764.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कुछ खो गया, तो कुछ मिला भी है
कुछ खो गया, तो कुछ मिला भी है
Anil Mishra Prahari
हर मोड़ पर कोई न कोई मिलता रहा है मुझे,
हर मोड़ पर कोई न कोई मिलता रहा है मुझे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ईश्वर का उपहार है बेटी, धरती पर भगवान है।
ईश्वर का उपहार है बेटी, धरती पर भगवान है।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
I want my beauty to be my identity
I want my beauty to be my identity
Ankita Patel
Loading...