कुण्डलिया- लोकतंत्र
लोकतंत्र का आजकल बना कैसा मजाक,
केवल पाना ही सत्ता बनती सबकी नाक।
बनती सबकी नाक उडे. मजाक जनता का,
स्वार्थी हो अब गए भोगे वे सुख सत्ता का।
कह अशोक कविराय जपो बस एक ही मंत्र,
सत्य को बहुमत दो बचाओ अब लोकतंत्र।।
अशोक छाबड़ा 21052018