कुण्डलिया
कुण्डलिया
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मन को हर लेते सहज, लिए बहुत वैशिष्ट्य।
कुदरत में सुन्दर कभी, बन जाते जब दृश्य।
बन जाते जब दृश्य, देखते रह जाते हम।
जल प्रपात के रूप, रंग मनभावन अनुपम।
कहते वैद्य सुरेन्द्र, भव्य प्रकृति के दर्शन।
नैसर्गिक है नित्य, खूब भाते सबके मन।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य