* कुण्डलिया *
* कुण्डलिया *
१.
चारवाक का देखिए, मनमोहन अवतार।
कहता है बस आज ही, आनंद मनाएँ यार।
आनंद मनाएँ यार, छोड़िए कल की चिंता।
सत्ता के रह साथ, जिंदगी मौज से बिता।
बात यही है सत्य, सबक लेकिन जनता का।
स्मरण कराता खूब, पाठ सब चारवाक का।
२.
बहुत नहाए मौज की, रेनकोट के साथ।
और सभी ने साथ ही, खूब रंगे थे हाथ।
खूब रंगे थे हाथ, किए अनगिन घोटाले।
पिछले सभी रिकार्ड, ध्वस्त खुद ही कर डाले।
बात यही है सत्य, नहीं जनता मन भाए।
बंद कराया खेल, बस करो बहुत नहाए।
३.
राजनीति में हो गई, नेता जी की हार।
पप्पू जी के साथ भी, लगा न बेड़ा पार।
लगा न बेड़ा पार, हो गई खरी किरकिरी।
केसरिया की आज, हवा चहुँ ओर है फिरी।
बात यही है सत्य, नहीं कुछ जाति-पाति में।
सिद्ध हुआ यह तथ्य, आज की राजनीति में।
४.
जनता ने फिर से दिया, मोदी जी का साथ।
साइकिल पँचर हो गई, टूट गया है हाथ।
टूट गया है हाथ, थका हाथी बेचारा।
बदल गया परिदृश्य, छा गया भगवा सारा।
बात यही है सत्य, जागता जब मतदाता।
लोकतंत्र के साथ, देशहित बढ़ती जनता।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य