कुण्डलिया
खान पान की होड़ में, मनुष्य पेटू होय।
स्वाद भये खाता जाय,सेहत न देखि कोय।
सेहत न देखि कोय,लगे बिमारी सतावै।
लोकरंग ना भाय, चैन कहीं नहीं पावै।
कहीं विष्णु यह बात, रहे इतना सा भान।
करें योग व्यायाम, संयमित हो खानपान।
-विष्णु प्रसाद ‘पाँचोटिया’