कुण्डलिया
कुण्डलिया…..
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( 1.)
हिन्दी की जागीर हैं, तुलसी, मीरा, सूर |
साखी कही कबीर ने, भरा ज्ञान भरपूर ||
भरा ज्ञान भरपूर, लिखी जो पीर परायी |
मीरा नूतन काल, महादेवी कहलायी ||
शरण मैथिली गुप्त, भाल भारत बिन्दी |
खुसरो बड़े अमीर, खास पहचानी हिन्दी ||
( 2.)
हिन्दी के उद्धार में, खूब किए थे यत्न |
श्रेष्ठ कवि इसके हुए, कहलाए नवरत्न ||
कहलाए नवरत्न, देव, मतिराम, बिहारी |
केशव, तुलसी, सूर, बखानी दुनिया दारी ||
भूषण औ’ हरिचन्द, बही कविता कालिन्दी |
गायी गाथा वीर, चन्दबरदायी हिन्दी ||
( 3.)
भाषा हिन्दी का रहा, स्वर्णिम सा इतिहास |
सूर, बिहारी, जायसी, मीरा के रविदास ||
मीरा के रविदास, पंत, जयशंकर आला |
भारतेन्दु हरिचन्द, प्रेम, चौहान, निराला ||
कविता माखनलाल, पुष्प की थी अभिलाषा |
दिनकर जैसे पूत, मात है हिन्दी भाषा ||
बी०एल०तोन्दवाल