कुण्डलिया
बिन मोबाइल हाथ में, रहे न ऊंची शान,
जपूँ फेस बुक रोज मैं, व्हाट्स एप में ध्यान।
व्हाट्स एप में ध्यान , दाल चूल्हे पर जलती,
साग नमक है तेज़, रोज साजन से ठनती।
लाइक सौ सौ बार, कॉमेन्ट करते स्माइल,
मुश्किल जीवन होय, तुम्हारे बिन मोबाइल।
दीपशिखा सागर-