कुण्डलिया (भोजपुरी)
कुण्डलिया……
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1.
नाया साल के बात नाया -नया नया बा काम,
चल$ सबे मिल पीअल जाय भाईचारा के जाम ।
भाईचारा के जाम मिटी नफरत आपस में,
हृदय खोल करीं प्यार रहीं ना केकरो वस में।
सुनी हृदय के बात समय ना होखे जाया,
भाईचारा संदेश देत ई वर्ष बा नाया।।१।।
2.
चलीं करीं संकल्प , दहेज अब हम ना लेहब,
हमरा से जे मांगी, हम ओकरा ना देहब।
हम ओकरा ना देहब जेल ओहके लेजाईब,
सरकारी मेहमान ओहे हम तुरत बनाईब।
कहै सचिन जी आज, दहेज ना केकरो फली,
प्रेम भरल संबन्ध ही भईया हरदम चलीः।।२।।
3.
नशाखोरी अभिशाप आज बा देश मे अपना,
जवने से अभिसप्त भईल माँ बाप के सपना।
बाप के सपना टूट गईल कई घर बा टूटल,
केकरा से कहीं आज, कहाँ बा केहूँ सूनत।
कहै सचिन कविराय नशा से गाठ ना जोरीं
मीटीहें कल अऊर आज जो बंद ना होई नशाखोरी।।३।
4.
बुराई में लिप्त बा, आपन देश समाज,
नया वर्ष में ठान ली सुदृढ़ कईलीं आज।
सुदृढ़ कईलीं आज, बुराई मीटीहें जड़ से,
अत्याचार के नाश , मरी ना केहूँ डर स़े।
कहै सचिन कविराय ठान लीं करीं भलाई
भला करे के आदत से ही मिटी बुराई।।४।।
5.
आतंकी के मौत पर, अश्रु दीहनी ढार,
जईसे लागल अखिया में, आईल रऊआ बाढ़।
आईल रऊआ बाढ़, देखीके लाज लजाईल,
नामुराद के मौत पे पत्थ खुब फेकाईल।
कहै सचिन कविराय खाईं देशभक्ति फंकी
तब जाके ना आई देश में एक आतंकी।।५।।
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©®
पं.संजीव शुक्ल “सचिन”