कुण्डलिया छंद
#विधा – कुण्डलिया
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प्रीत जगत की रीत है, यह जीवन संगीत।
प्रीत है परमात्मा, प्रीत दिलाये मीत।
प्रीत दिलाये मीत, हर्ष जीवन में छाये।
गायें मिल सब गीत, सदा आनंद मनायें।।
खुश होते भगवान, सुनें जो गीत भगत की।
रिझते दयानिधान, देखकर प्रीत जगत की।।
सुख से रहना चाहते, करो राम से प्रीत।
बहुत सहज यह मार्ग है, यहीं सनातन रीत।
यही सनातन रीत, गीत प्रभु का तुम गाओ।
ईश्वर से हो प्रीत, हर्षमय जीवन पाओ।।
ईश्वर में अनुराग, छुटेगा नाता दुख से।
मिटते सकल अभाग, जुड़ेगा रिश्ता सुख से।।
******** स्वरचित, स्वप्रमाणित
✍️पं.संजीव शुक्ल “सचिन”