कुण्डलिया छंद
होते हैं मुश्किल बहुत ,जीवन के किरदार।
जो रिश्तों को जोड़ता,वह बिखरे हर बार।
वह बिखरे हर बार ,करे जो दुनियादारी।
रहे हमेशा त्रस्त ,चुकाए कीमत भारी।
करें निर्वहन धर्म ,बीज खुशियों के बोते।
धरती पर इंसान, बहुत कम ऐसे होते।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय