कुण्डलिया।
कुण्डलिया।
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शादी लड्डू स्वीट है,सोच टपकती राल।
भरी जवानी देख कर,बदले सब की चाल।।
बदले सबकी चाल, बने जाते दीवाने।
खाने को तैयार, जवान चाहे सयाने।।
कहे तरुण कविराय,सुनो जो कहती दादी।
मात -पिता की मान, वहीं पर करना शादी।।
पंकज शर्मा”तरुण”.
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