कुटुंब गुच्छ
कुटुम्ब*
भाव भरो तुम आत्म में ,
व्यष्टि करो विस्तार ।
वसुधा सुखद कुटुंब है ,
रचा जिसे करतार ।।
ध्वजा *
ध्वजा हिंद की शान है ,
गायें जन गण गान ।
विश्व पटल संदेश दो ,
भारत देश महान ।।
मिलन*
मन से मन का मिलन ही ,
कहलाता है श्रेष्ठ ।
तोड़ वासना की कड़ी ,
भाव सजगता ज्येष्ठ ।
संगीत
मीठे स्वर संगीत के,
जो देते रस घोल ।
शब्द विषैले घाव दे ,
बोलो सुन्दर बोल ।
साधना
एक साधना नित्य कर ,
चिंतन अरु अभ्यास ।
गढ़ो सुजस की चाँदनी ,
नूतन विमल प्रभास ।
डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’शोहरत
वाराणसी
स्वरचित मौलिक सृजन