कुछ ख़त मोहब्बत के0
***कुछ ख़त मोहब्बत के**
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दिल के बहुत होते हैं पास,
कुछ कहते ख़त मोहब्बत के।
भावों का गहरा है दरिया,
हँसाते रुलाते मोहब्बत के।
फूलों से होते सदाबहार,
महकते ख़त मोहब्बत के।
गर्दन मे मोतियों का हार,
चमकते ख़त मोहब्बत के।
पायल की मधुरिम झनकार,
खनकते ख़त मोहब्बत के।
हृदय की तिजोरी में बन्द,
खजाने ख़त मोहब्बत के।
मुख पर मंद मंद मुस्कान,
बिखेरते ख़त मोहब्बत के।
सुबह से कब होती है शाम,
सुहाने ख़त मोहब्बत के।
मनसीरत मन के सुर ताल,
गीत गाते ख़त मोहब्बत के।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)