Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Feb 2021 · 1 min read

कुछ ख़त मोहब्बत के

प्रिय (अज्ञात)

कुछ ख़त मोहब्बत के
लिखे तो थे तुम्हें मगर
लिखकर फाड़ दिए।

मन में इक अनजाना सा भय
यही की तुम क्या सोचोगे
मेरे व्यक्तित्व के बारें में?

कहीं गलत न समझ बैठो
उँगली न उठा दो मेरे चरित्र पर
डरती थी, हाँ मैं बहुत डरती थी।

तुमने तो कभी कुछ कहा नही
मेरा ही दिल अकेले धड़कता रहा
जान ही न पाई तुम क्या चाहते हो?

मैं तुम्हें पसंद करती थी
पर तुम्हारे दिल की कोई थाह न थी
पूछती कैसे लाज आती थी।

ख़त ही एक सरल तरीका था
मन की सारी कोमल भावनाएँ लिख दी थी
वो सब जो कभी कह न सकी।

रोज तुमसे मिलकर जब घर आती
एक ख़त रोज लिखती थी
सोचती कल तुम्हें दे दूँगी।

वो कल कभी न आया जीवन में
तुम कहीं चले गये,मैं कहीं बस गई
वो लिखे ख़त,याद की तरह रह गये।

जीवन में किसी ओर की दस्तक हुई
सब कुछ बदल गया
इच्छाएँ, सोच और पूरा जीवन भी।

अब उन ख़तों को छुपाना मुश्किल था
कोई देख न ले, कोई बाँच न ले
पल-पल,हरपल एक डर सताता था।

ऐसा लगता था जैसे कोई गुनाह किया है
और उस गुनाह की लाश को छुपा रही हूँ
अब उन्हें सहेजना, सहज न था।

ख़तों को बार-बार,कई बार पढ़ा
और इस आखिरी ख़त के साथ
उन सारे ख़तों को फाड़ दिया।

हाँ,

कुछ ख़त मोहब्बत के
लिखे तो थे तुम्हें मगर
लिखकर फाड़ दिए।

तुम्हारी जो कभी न हो सकी
(अज्ञात)

7 Likes · 47 Comments · 653 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
लंबा क़ानून
लंबा क़ानून
Dr. Rajeev Jain
गूंजा बसंतीराग है
गूंजा बसंतीराग है
Anamika Tiwari 'annpurna '
ये बेकरारी, बेखुदी
ये बेकरारी, बेखुदी
हिमांशु Kulshrestha
I can’t be doing this again,
I can’t be doing this again,
पूर्वार्थ
हवन - दीपक नीलपदम्
हवन - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
" अकेलापन की तड़प"
Pushpraj Anant
निकल आए न मेरी आँखों से ज़म ज़म
निकल आए न मेरी आँखों से ज़म ज़म
इशरत हिदायत ख़ान
अर्थ शब्दों के. (कविता)
अर्थ शब्दों के. (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
खिलजी, बाबर और गजनवी के बंसजों देखो।
खिलजी, बाबर और गजनवी के बंसजों देखो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
मुबारक़ हो तुम्हें ये दिन सुहाना
मुबारक़ हो तुम्हें ये दिन सुहाना
Monika Arora
संतानों का दोष नहीं है
संतानों का दोष नहीं है
Suryakant Dwivedi
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस
Dr Mukesh 'Aseemit'
जिंदगी जिंदादिली का नाम है
जिंदगी जिंदादिली का नाम है
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
स्कूल जाना है
स्कूल जाना है
SHAMA PARVEEN
दुखा कर दिल नहीं भरना कभी खलिहान तुम अपना
दुखा कर दिल नहीं भरना कभी खलिहान तुम अपना
Dr Archana Gupta
अधरों ने की दिल्लगी,
अधरों ने की दिल्लगी,
sushil sarna
कविता तुम से
कविता तुम से
Awadhesh Singh
" फौजी "
Dr. Kishan tandon kranti
*जीवन को सुधारने के लिए भागवत पुराण में कहा गया है कि जीते ज
*जीवन को सुधारने के लिए भागवत पुराण में कहा गया है कि जीते ज
Shashi kala vyas
STABILITY
STABILITY
SURYA PRAKASH SHARMA
वो मेरे बिन बताए सब सुन लेती
वो मेरे बिन बताए सब सुन लेती
Keshav kishor Kumar
हमारे ख्यालों पर
हमारे ख्यालों पर
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मंजिल की तलाश में
मंजिल की तलाश में
Chitra Bisht
संवेदना(कलम की दुनिया)
संवेदना(कलम की दुनिया)
Dr. Vaishali Verma
हर पल तलाशती रहती है नज़र,
हर पल तलाशती रहती है नज़र,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
सलाम सलाम, उन शहीदों को सलाम
सलाम सलाम, उन शहीदों को सलाम
gurudeenverma198
दिल का आलम
दिल का आलम
Surinder blackpen
या तो हम अतीत में जिएंगे या भविष्य में, वर्तमान का कुछ पता ह
या तो हम अतीत में जिएंगे या भविष्य में, वर्तमान का कुछ पता ह
Ravikesh Jha
विचारों को पढ़ कर छोड़ देने से जीवन मे कोई बदलाव नही आता क्य
विचारों को पढ़ कर छोड़ देने से जीवन मे कोई बदलाव नही आता क्य
Rituraj shivem verma
Loading...