कुछ है या कुछ नही है
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
कुछ है या कुछ नहीं है
सब कुछ है
मग़र कुछ भी नही है
कुछ का होना सोचना
सापेक्षता के खिलाफ होगा
मग़र कुछ को तो होना ही होगा
अगर कुछ हुआ तो सापेक्षता
निर्मूल न हो जाएगी
फिर मैं क्या करूँगा
बहुत मुश्किल है अब
कुछ हो तो मुसीबत
और न हो तो मुसीबत
मुझे ही कुछ करना होगा
कुछ को अब साबित करना ही होगा
अगर ये मान भी लें कि कुछ है
तो सिद्ध कैसे करेंगे
अनुमान लगाया के कुछ था
उसमें से बहुत कुछ ख़र्च कर दिया
फिर भी कुछ तो बचा ही ना
तो ये कुछ बहुत कुछ ख़र्च होने पर भी
कुछ न कुछ बच ही जाता है
और यही कुछ हमारी सोच के अनुमान को
ये कहने पर आमादा है कि
कुछ है और यही सापेक्षता की पहचान है