कुछ हृदय ने गहे
कुछ हृदय ने गहे
कुछ नयन से बहे
शब्द खामोश थे
मौन ने सब कहे
कर सके कुछ न हम
देखते बस रहे
बन गए दर्द वो
जो रहे अनकहे
हम विरह आग में
ज़िंदगी भर दहे
ख्वाब के थे महल
एक पल में ढहे
दीप बिन ‘अर्चना’
तम घनेरे सहे
डॉ अर्चना गुप्ता
11.12.2024