कुछ हसरतें पाल कर भी शाम उदास रहा करती है,
कुछ हसरतें पाल कर भी शाम उदास रहा करती है,
जैसे ख़ामोश लबों में बयां करना इसकी फितरत न हो
©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”
कुछ हसरतें पाल कर भी शाम उदास रहा करती है,
जैसे ख़ामोश लबों में बयां करना इसकी फितरत न हो
©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”