कुछ हम लड़के भी है जो सिर्फ या तो मां के प्रेम के अधीर इतने
कुछ हम लड़के भी है जो सिर्फ या तो मां के प्रेम के अधीर इतने होते है की वही सही और।साथ नजर आता है शादी के बाद या फिर हम लड़के बीबी के प्रेम के इतने अधिक वाचाल और करतूत कर होने लगते है कि लड़के उन रिश्तों को इग्नोर कर देते और रिश्ते में व्यवहारिक कड़वाहट ले आते है जिनका संचरण बीबी के आने के पहले के कई लंबे समय का है
पता नही हम लड़के प्रेम को सत्राव में इतने मर्क , मूर्ख और अधीर कैसे होने लगते है की रिश्ते और परिवार ला संतुलन एक तरफा करते चले जाते है किसी एक के प्रेम( मां या बीवी)
भाई परिवार देखना है सिर्फ एक लोता प्रेम का रिश्ता नही।
थोड़ा एक तरफा प्रेम के स्त्राव को कम करे गृहस्ती के साथ साथ बाकी परिवार के रिश्तों को उनका सम्मान,प्रेम भी दे।
वरना ये ना हो लड़के का एक तरफा प्रेम उसके काफी रिश्तों वो सघन दूरी बना देगा जिसको लड़का कभी सहेज और समेत नही पाता है।
सेल मूर्ख लड़के यही कर रहे है प्रेम के एक तरफा स्त्राव खुद के परिवार के साथ खुद के पूर्ण और पुराने रिश्ते बिगाड़ है।
ना प्रेम अंधा है बस साले प्रेम में पड़ने वाले अंधे के साथ साथ मूर्ख भी होते चले जाते है बुद्धि विवेक का नाश कर लेते है