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18 Sep 2019 · 1 min read

कुछ हमको भी जी लेने दो

कुछ हमको भी जी लेने दो।
कुछ हमको भी खुश रहने दो।।

हम तो सुनते ही आए हैं ,
सुन सुन कर घुटते आए हैं,
अपने सपने ध्वस्त हुए हैं,
हम घर में ही पस्त हुए हैं,
खुली हवा में थोड़ी साँसें,
कुछ हमको भी भर लेने दो।।

बच्चे अब खुद पर निर्भर हैं
सबके अपने अपने घर हैं
नीड़ छोड़कर चले गए सब
वो अपने जीवन में खुश हैं…
जो भी पल अब शेष बचे हैं
उनको जी भर कर जीने दो।

दो दिल एक जान हो जाएं
हम जीवन को पुनः सजाएं
एक दूजे के पूरक बन कर,
हर क्षण का आनंद उठाएं
हँसते हँसते ही प्रयाण हो,
शेष बचा जीवन जीने दो।

श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद।

3 Likes · 4 Comments · 298 Views
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