कुछ स्वस्थ विचार
कुछ स्वस्थ विचार
१.
लक्ष्य भृष्ट मनुष्य को मंजिल कभी भी
नसीब नहीं होती | वह दिशाहीन व्यक्ति
की तरह यहाँ से वहां भटकता रहता है |
उसके द्वारा किये जाने वाले प्रयासों का
कोई सुअन्त नहीं होता |वह स्वयं तो
दिशाहीन होता ही है साथ ही जीवन भर
किसी दूसरे व्यक्ति को राह नहीं दिखा पाता |
२.
कर्तव्य विमुख चरित्र शून्य से शून्यतम
की ओर प्रस्थान करते हैं | इनका न तो
कोई लक्ष्य होता है न ही कोई दिशा | ये
दिशाहीन व्यक्ति की भांति अपने कर्तव्यों
से पीछा छुड़ाने में लगे रहते हैं | ये चरित्र
कभी भी सफल नहीं होते | इनका समाज
में कोई विशेष स्थान नहीं होता | ये
दुश्चरित्र की भांति विचरते रहते हैं |