कुछ सीखें बातों बातों से
कविता :- 17(49) , हिन्दी
नमन ? :-
तिथि :- 09/09/2020
दिवस :- बुधवार
विधा :- कहानी
विषय :- कुछ सीखें बातों बातों से !
कोरोना काल से दस साल पहले दो हज़ार नौ , दस की बात है
, जब गंगाराम अपने गाँव झोंझी के राजकीय प्राथमिक विद्यालय से पाँचवी पढ़कर बग़ल के गांव के राजकीय मध्य विद्यालय नरही में छठवीं कक्षा में नामांकन करवाया रहा, वह अपने दोस्त व भानजा मुकेश के साथ अपने अपने साईकिल से विद्यालय एक साथ ही आते जाते ,श्री सच्चिदानंद झा जी उस वक़्त उस विद्यालय के प्रधानाध्यापक पद पर रहें , नाटा होने के कारण लोग उन्हें भुतवा सर कहकर पुकारते , उस समय टिफ़िन के समय विद्यार्थियों अपने अपने बस्ता लेकर घर चलें जाते फिर खाना खाकर आते, कितने तो टिफ़िन के बाद आते ही नहीं, और जो आते नहीं उनका मार्ग रोशन से अंधकार हो जाते, और जब वह अगले दिन विद्यालय आते या तो प्रधानाध्यापक जी नहीं तो कक्षा अध्यापक महफूज सर जी वह इलाज़ करते की, फिर से टिफ़िन के बाद आना ही आना पड़ता , दुर्गा पूजा की छुट्टी से पहले एक दिन अर्चना टिफ़िन के समय गंगाराम के सामने आकर ऊँगली दिखाकर पूछी कि तुम्हारा ,, टाईटल क्या है, यूँ मैथिली भाषा में पूछी रही … कि तोहर टाईटल की छोअ , गंगाराम को लगा कि हमसे पूछ रही है कि मेरी प्रेमिका कौन है, गंगाराम क्या खुश हो गया नदी के निर्मल जल से सागर की ओर एक ही बार में चला गया , फिर उत्तर दिया ,कीछो नैय मतलब कोई न । आरती , चाँदनी, छोटी , ज्योति, पूजा ,दीक्षा, दीप्ती, श्वेता, बबली , मिली, मनीषा व अपने सहेलियों के साथ अर्चना विद्यालय के बगल वाले आम के बग़ीचे में खेलने चली गई , और गंगाराम अपने मित्र मुकेश के पास आया और बोला, जानैय छीही अर्चुआ हमरा स्अ पूछलक कि तोहर टाईटल की छोउ, हम कहलियै कीयो नैय ,तब मुकेश हँसते हुए बोला अरे तोहरा सऽ पूछलको तोहर जाति की छोअ , गंगाराम बोला अच्छा भाई उसे यह पता न जब कक्षा में हाज़िरी होता है 93 ( तिरानवे ) के बाद क्रमांक 94 ( चौरानवे ) जो झा है तो उसे पता न कि हम ब्राह्मण हैं हद है , तब से गंगाराम को जब भी टाईटल की बात याद आते तो उसे अपने दोस्त मुकेश और चमकीले आँखों वाली अर्चना की याद आ जाते, ये सीख उन्हें इन्हीं दोनों के सहयोग से प्राप्त हुआ रहा, जब भी कोई रचना लिखने से पहले रचना का शीर्षक गंगाराम देता है तो वह अपने आप को शर्मिंदा महसूस करता हैं, कि एक वक्त पता न था कि टाईटल , शीर्षक क्या होता है और आज प्रत्येक दिन ही कोई न कोई शीर्षक पर कुछ न कुछ यूँ ही लिख लेते हैं, सब माँ सरस्वती की दया प्रेम और आशीर्वाद है, और उसे वह अनमोल पल याद आ जाता है, जब अर्चना पूछी रही तुम्हारा टाईटल ( Title ) क्या है, क्या वह ज़िन्दगी थी ।।
✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज, कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716