Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Oct 2017 · 1 min read

कुछ सिमटे मोती थे…..

झिलमिलाते दीपों की ओट
में कुछ सिमटे मोती थे !
उत्सव था प्रकाश पर्व का
दूर करना था अन्तस के
अँधेरे को!
खट्टी-मीठी यादों का आँगन
फिर से प्रज्वलित हुआ असंख्य
दीप जले !
बस जला न सके वो दीप
जो अन्तस को कर देता रौशन!
कमी हमेशा उर में सालती है
उस दीप की जिससे रौशन
घर आँगन था
अन्तस का प्लावित हर
कोना था!
कुछ दीप बुझे तो जले नहीं
बस स्मृतियों में प्रकाश शेष रह गये
नयन सीपी गिरे बिफर कर
अन्त:करण वेदना से भर गया
एक दीप जो सदा के लिए
अँधेरे से भर गया!
……
शालिनी साहू
ऊँचाहार,रायबरेली(उ0प्र0)

Language: Hindi
334 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

यदि आपका दिमाग़ ख़राब है तो
यदि आपका दिमाग़ ख़राब है तो
Sonam Puneet Dubey
कोरोना कविता
कोरोना कविता
Mangu singh
15. *नाम बदला- जिंदगी बदली*
15. *नाम बदला- जिंदगी बदली*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
सरस रंग
सरस रंग
Punam Pande
.
.
*प्रणय*
5) कब आओगे मोहन
5) कब आओगे मोहन
पूनम झा 'प्रथमा'
खो दोगे
खो दोगे
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
आज़ादी की जंग में कूदी नारीशक्ति
आज़ादी की जंग में कूदी नारीशक्ति
कवि रमेशराज
अयोध्याधाम
अयोध्याधाम
Sudhir srivastava
स्वभाव मधुर होना चाहिए, मीठी तो कोयल भी बोलती है।।
स्वभाव मधुर होना चाहिए, मीठी तो कोयल भी बोलती है।।
Lokesh Sharma
भलाई
भलाई
इंजी. संजय श्रीवास्तव
एक आरजू
एक आरजू
लक्ष्मी सिंह
नैन
नैन
TARAN VERMA
राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस...
राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस...
डॉ.सीमा अग्रवाल
My answer
My answer
Priya princess panwar
फिर से दोस्त बन जाते हम
फिर से दोस्त बन जाते हम
Seema gupta,Alwar
"सावित्री बाई फुले"
Dr. Kishan tandon kranti
गांवों के इन घरों को खोकर क्या पाया हमने,
गांवों के इन घरों को खोकर क्या पाया हमने,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
तेरी मुस्कान होती है
तेरी मुस्कान होती है
Namita Gupta
वक़्त हमने
वक़्त हमने
Dr fauzia Naseem shad
जिसने बंदूक बनाई / कमलजीत चौधरी
जिसने बंदूक बनाई / कमलजीत चौधरी
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मैंने खुद को जाना, सुना, समझा बहुत है
मैंने खुद को जाना, सुना, समझा बहुत है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
पूछो ज़रा दिल से
पूछो ज़रा दिल से
Surinder blackpen
विधा-कविता
विधा-कविता
Vibha Jain
छड़ी
छड़ी
Dr. Bharati Varma Bourai
"यही अच्छाई है, यही खराबी है ll
पूर्वार्थ
2933.*पूर्णिका*
2933.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जीवन में कला , संवेदनाओं की वाहक है
जीवन में कला , संवेदनाओं की वाहक है
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
संवेदना
संवेदना
Harminder Kaur
पापा गये कहाँ तुम ?
पापा गये कहाँ तुम ?
Surya Barman
Loading...