*कुछ संकलन*
१. रघुकुल रीति सदा चली आई
प्राण जाए पर वचन न जाई ।
२। सच कहना यदि बगावत है तो
समझो हम भी बागी हैं ….
३। सजन रे झूठ मत बोलो
खुदा के पास जाना है।
न हाथी है, न घोड़ा है
वहां पैदल ही जाना है..
४. सच है दुनिया वालों कि हम हैं अनाड़ी
सब कुछ सिखा हमने न सीखी होशियारी.
५. झूठ बोले कौआ काटे
काले कौए से डरियो …
बस इतना ही*
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प्रस्तुति- घनश्याम पोद्दार
मुंगेर