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24 May 2017 · 1 min read

*** कुछ शेर ***

हक़ीक़त में सम्भव नहीं उनको रुलाना

क्यों न तसव्वुर में ही रुलाया जाय

दिल अपना जो हमारी दुआओं में लगाये

क्यों न दिल अब उनसे यूं लगाया जय

घाव गहरा जो दिल पर करता है

जुबा-तीर-ए- तरकश तोड़ा जाय

कब निकलेंगे जिंदगी के अंधेरो से हम

अब लुत्फ़ अंधेरों का भी उठाया जाय

वैसे लिखना मेरी आदत में नहीं हैं फिर भी

ऐसे शिरकत-ए-महफ़िल को क्यों छोड़ा जाय

?मधुप बैरागी

Language: Hindi
Tag: शेर
1 Like · 233 Views
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