कुछ वक्त के लिए
कुछ वक्त के लिए रुक जाते तो,शाम सुहानी हो जाती।
हाथों में डालें हाथ चलते तो,बात रूमानी हो जाती।
कुछ दिल की बातें तुम कहते,कूछ बातें मैं कह लेती
बातों बातों में यूं ही , शुरू नयी कहानी हो जाती।
गर्म चाय के कुल्हड़ संग,हाथों को हम गर्माते
भीगे भीगे से मौसम में , बेताब जवानी हो जाती।
सरसराहट सूखे पत्तों की,राज ए इश्क न बयां कर दे
अल्हड़ सी उस उम्र में हमसे, हरकत बचकानी हो जाती।
सुरिंदर कौर