Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Aug 2021 · 2 min read

कुछ लोग बस, यूॅं ही लिख जाते हैं !

कुछ लोग बस, यूॅं ही लिख जाते हैं !
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐

कुछ लोग बस, यूॅं ही लिख जाते हैं !
समझते वही हैं, खुद ही पढ़ जाते हैं !
छुपे भाव उनकी रचनाओं के….
कोई समझ नहीं पाते हैं !
गर समझना भी चाहें तो….
और ज़्यादा ही उलझ जाते हैं !
कुछ लोग बस, यूॅं ही लिख जाते हैं !!

रचना लिखें ऐसी जो भावपूर्ण हों !
व्याकरण की दृष्टि से हर शब्द शुद्ध हों !
पाठक जिसे पढ़कर ना कभी क्रुद्ध हों !
उनके जीवन के मार्ग न कभी अवरुद्ध हों !
रचना की हर पंक्ति ही लय में छंदबद्ध हों !
पूरी रचना ही किसी ख़ास रस से पुष्ट हों !
पर कुछ महानुभाव ऐसा कदापि नहीं सोचते !
वे तो बस अपनी ही लय में लिख जाते हैं !
ऐसे कुछ लोग तो बस, यूॅं ही लिख जाते हैं !!

ऐसे लोग बस,अपने दिल की ही सुनते हैं !
औरों से उन्हें कभी भी कोई वास्ता नहीं !
पाठकों की अपेक्षाएं तक उन्हें पता नहीं !
उन्हें बस खुद की ही सदैव फिक्र होती !
वे बस, खुद की ही सोचने को आमादा होते !
अपना नफा-नुकसान देखकर ही रचना लिखते !
वे दुनिया से बेफिक्र बस, यूॅं ही कुछ लिख जाते हैं !!

उनकी तरह आप कदापि ऐसा कुछ ना करें !
कुछ भी लिखने से पहले जरा सोचें समझें !
देश दुनिया की भलाई के बारे में भी कुछ सोचें !
सशक्त लेखनी से देश के ज्वलंत मुद्दों का हल ढूंढ़ें!
आप ये मत सोचें कि आपने कितना लिखा !
आप सदैव ये सोचें कि आपने ऐसा क्या लिखा…
जो देश के अहम मसलों से ताल्लुकात रखती हों !
देश के विकास के लिए लोगों को प्रेरित करती हो!
देश की एकता, अखंडता को अक्षुण्ण रखती हो !
देश की गरिमा को दुनिया में सर्वोच्च रखती हो !
आपसी प्रेम, सौहार्द और भाईचारे का संदेश देती हो!
हर क्षेत्र, भाषा, जाति व धर्म में समन्वय रखती हो !
गरीबों की दुर्दशा की ओर सरकार का ध्यान खींचती हो !
एक रचनाकार की लेखनी जब लोगों के हित के लिए हो!
तो वो रचनाकार सबसे बड़ा खुशनसीब क्यों ना हो…?
पर कुछ रचनाकार ऐसा करना उचित नहीं समझते !
वे तो बस, यूॅं ही किसी अनर्गल विषय पर लिखते जाते !
तो क्यूॅं ना कहें हम…”कुछ लोग बस, यूॅं ही लिख जाते हैं !!”

स्वरचित एवं मौलिक ।

अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 05-08-2021.
“””””””””””””””””””””””””””””
????????

Language: Hindi
5 Likes · 808 Views

You may also like these posts

मां तौ मां हैं 💓
मां तौ मां हैं 💓
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
बेटियाँ
बेटियाँ
Raju Gajbhiye
जीवन उत्साह
जीवन उत्साह
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
घरेलू दाम्पत्य जीवन में
घरेलू दाम्पत्य जीवन में
Ajit Kumar "Karn"
जीवन साथी,,,दो शब्द ही तो है,,अगर सही इंसान से जुड़ जाए तो ज
जीवन साथी,,,दो शब्द ही तो है,,अगर सही इंसान से जुड़ जाए तो ज
Shweta Soni
नीम की झूमती डाल के पार
नीम की झूमती डाल के पार
Madhuri mahakash
तेरे क़दमों पर सर रखकर रोये बहुत थे हम ।
तेरे क़दमों पर सर रखकर रोये बहुत थे हम ।
Phool gufran
अपनी तुलना कभी किसी से मत करना क्योंकि हर फल का स्वाद अलग ही
अपनी तुलना कभी किसी से मत करना क्योंकि हर फल का स्वाद अलग ही
ललकार भारद्वाज
माँ सरस्वती अन्तर्मन मन में..
माँ सरस्वती अन्तर्मन मन में..
Vijay kumar Pandey
दिल का दर्द
दिल का दर्द
Dipak Kumar "Girja"
प्रकृति
प्रकृति
MUSKAAN YADAV
अधिकार------
अधिकार------
Arun Prasad
बेटी है हम हमें भी शान से जीने दो
बेटी है हम हमें भी शान से जीने दो
SHAMA PARVEEN
मोहब्बत में जीत कहां मिलती है,
मोहब्बत में जीत कहां मिलती है,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
एक ग़ज़ल :-रूबरू खुद से हो जाए
एक ग़ज़ल :-रूबरू खुद से हो जाए
मनोज कर्ण
भारत के वीर जवान
भारत के वीर जवान
Mukesh Kumar Sonkar
खुशबू सी बिखरी हैं फ़िजा
खुशबू सी बिखरी हैं फ़िजा
Sunita
उॅंगली मेरी ओर उठी
उॅंगली मेरी ओर उठी
महेश चन्द्र त्रिपाठी
यूँ  भी  हल्के  हों  मियाँ बोझ हमारे  दिल के
यूँ भी हल्के हों मियाँ बोझ हमारे दिल के
Sarfaraz Ahmed Aasee
फितरते फतह
फितरते फतह
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
बाल कविता: चिड़िया आयी
बाल कविता: चिड़िया आयी
Rajesh Kumar Arjun
मेरी जिंदगी
मेरी जिंदगी
ओनिका सेतिया 'अनु '
ये कलयुग है ,साहब यहां कसम खाने
ये कलयुग है ,साहब यहां कसम खाने
Ranjeet kumar patre
..
..
*प्रणय*
Subject: fragrance
Subject: fragrance
Priya princess panwar
काटो की आवाज
काटो की आवाज
देवराज यादव
चलो बीज बोते हैं
चलो बीज बोते हैं
Girija Arora
शिक्षकों को प्रणाम
शिक्षकों को प्रणाम
Seema gupta,Alwar
जो बरगद –पीपल,......
जो बरगद –पीपल,......
sushil yadav
" विनाशक "
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...