कुछ लोगों ने सोच लिया है
कुछ लोगों ने सोच लिया है,
कितनी ही कविता कवी बन जाये,
हम नंगे है नंगे ही रहेंगे,
हमारा तो सजेगा बाजार यूँही,
शक़ल से चंगें है चंगें ही रहेंगे।
कुछ लोगों ने सोच लिया है,
चाहे बेटी देखें पती देख जाये,
हम नंगे है नंगे ही रहेंगे,
यूँही फैलएँगे दुनिया भर में बीमारी,
सबकी अकल पर पत्थर पड़ा है
पत्थर यु ही पड़े रहेंगे।
कुछ लोगों ने सोच लिया है,
जीवन चार पल का ही तो होता है,
हम नंगे है नंगे ही रहेंगे,
हम एक पल में निभाएंगे जिम्मेदारी,
हम भी लेखक की तरह ही,
इंतज़ार में गेट पर ही खड़े रहेंगे.
कुछ लोगों ने सोच लिया है,
ढलती उम्र का भी तो तग़ाज़ा है,
हम नंगे है नंगे ही रहेंगे,
आज शरीफ बनने में रखा क्या है,
देखो वो भी गलत है वो भी गलत है,
हमने गलत को चाहा गलत ही देखते रहेंगे।
तनहा शायर हूँ