कुछ लोगों को ऐसे भी शिकस्त देते हैं
कुछ लोगों को ऐसे भी शिकस्त देते हैं
कोई कुछ भी कहे हम मुस्कुरा देते हैं
नफ़रत की आग बुझेगी मोहब्बत की आब से
हर सिम्त चराग-ए-अमन हम जला देते हैं
जफ़ा नहीं करते हम सितमगर पे भी
अपने मुख़ालिफ़ को भी हम दुआ देते हैं
संगदिलों की हमदर्दी की हमें दरकार नहीं
हम ख़ुदा को अपना ग़म सुना देते हैं
— त्रिशिका श्रीवास्तव “धरा”
कानपुर (उ.प्र.)