कुछ मुक्तक(प्रेरणा)
1
धर्म जिनका सत्यता और कर्म भी ईमान है
दृढ़ निश्चय और मेहनत से बनी पहचान है
हार कर भी हारते हैं ज़िन्दगी में वो नहीं
जीत जाते हौसलों में जिनके होती जान है
2
हार मान कर उसे कभी न हार कीजिये
जीत का प्रयत्न भी हज़ार बार कीजिये
स्थान प्रेम का रहे न हो कहीं कठोरता
हो अगर मनुष्य दिल सदा उदार कीजिये
3
अभी हमारे छोटे पग हैं
चलने में थोड़ा डगमग हैं
मगर हौसलों में दम इतना
हम तो उड़ने वाले खग हैं
4
अगर सफलता मिल जाये, करो कभी अभिमान नहीं
सीखो भरी डाल से झुकना, करो अकड़ पहचान नहीं
कितनी भी हों मुश्किल सच की नहीं छोड़ना राह कभी
गलत राह चलने वालों को, मिला कभी सम्मान नहीं
5
बनना माता पिता नहीं आसान यहाँ
और बनाना भी अपनी पहचान यहाँ
आज चाहते हैं पाना सब हक़ अपने
पर अपने फ़र्ज़ों से हैं अनजान यहां
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दोहा
घर से सीखो संस्कार सब, विद्यालय से ज्ञान
पंख हौसलों के लगा, ऊंची भरो उड़ान
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद