Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Jul 2024 · 1 min read

कुछ मासूम स्त्रियाँ!

कुछ मासूम स्त्रियाँ!
होती है सहनशील,
सशक्त और उच्च विचारों वाली,
पर अक्सर हो जाती है पराजित,
कभी उदास तो कभी हताश,
और वजह होती हैं कुछ स्मृतियाँ,
जो लाख चाहने के बावजूद,
नही जाती उनके मन से,
करती हैं उन्हें बेचैन,
और जताती हैं कुछ ऐसा,
कि बिगड़ी है अगर बात
तो बस कुछ…
हम ही में कमी होगी।
क्योंकि उनके अपने ही डाल देते हैं,
बेवजह के अपराध में,
और वो बस ढूंढती रह जाती हैं,
खुद में खामियाँ,
हर पल सोचती रहती हैं,
क्या है हममें कमियां ?
और बस यही सोचते-सोचते,
मान लेती हैं कि हम इंसान ही बुरे हैं।
हमारे रूप-रंग में कमी है,
हम शायद औरों की तरह बेहतर नही।
या फिर शायद कुछ और ही…
पर कुछ तो कमी है,
यही सोचकर वो चली जाती हैं,
डिप्रेशन में भी।
पर ये समाज,
ये तो बस ढूंढता है,
स्त्रियों में कमियां,
मानता है उन्हें बेहतर,
जो झूठ बोलकर भी
फिट बैठते हैं…
समाज के हर पैमाने पर।

@स्वरचित व मौलिक
शालिनी राय ‘डिम्पल’🖊️

Language: Hindi
89 Views

You may also like these posts

■ मानवता से दानवता की ओर जाना काहे का विकास?₹
■ मानवता से दानवता की ओर जाना काहे का विकास?₹
*प्रणय*
*कोई जीता कोई हारा, क्रम यह चलता ही रहता है (राधेश्यामी छंद)
*कोई जीता कोई हारा, क्रम यह चलता ही रहता है (राधेश्यामी छंद)
Ravi Prakash
* प्रभु राम के *
* प्रभु राम के *
surenderpal vaidya
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
रातें ज्यादा काली हो तो समझें चटक उजाला होगा।
रातें ज्यादा काली हो तो समझें चटक उजाला होगा।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
विश्रान्ति.
विश्रान्ति.
Heera S
लोगों को खुद की कमी दिखाई नहीं देती
लोगों को खुद की कमी दिखाई नहीं देती
Ajit Kumar "Karn"
साहित्य और लोक मंगल
साहित्य और लोक मंगल
Sudhir srivastava
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
पूर्वार्थ
"तृष्णाओं का घर"
Dr. Kishan tandon kranti
जिस दिन आप कैसी मृत्यु हो तय कर लेते है उसी दिन आपका जीवन और
जिस दिन आप कैसी मृत्यु हो तय कर लेते है उसी दिन आपका जीवन और
Sanjay ' शून्य'
मेरी काली रातो का जरा नाश तो होने दो
मेरी काली रातो का जरा नाश तो होने दो
Parvat Singh Rajput
उपहास
उपहास
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
कभी तू ले चल मुझे भी काशी
कभी तू ले चल मुझे भी काशी
Sukeshini Budhawne
*****खुद का परिचय *****
*****खुद का परिचय *****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
उम्मीद का परिंदा
उम्मीद का परिंदा
ललकार भारद्वाज
छोड़ दिया है मैंने अब, फिक्र औरों की करना
छोड़ दिया है मैंने अब, फिक्र औरों की करना
gurudeenverma198
3327.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3327.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
सुरूर छाया था मय का।
सुरूर छाया था मय का।
Kumar Kalhans
शहर की गहमा गहमी से दूर
शहर की गहमा गहमी से दूर
हिमांशु Kulshrestha
मम्मी पापा के छांव
मम्मी पापा के छांव
राधेश्याम "रागी"
दोहा पंचक. . . मकरंद
दोहा पंचक. . . मकरंद
sushil sarna
मुस्कान
मुस्कान
seema sharma
पुस्तक समीक्षा
पुस्तक समीक्षा
अशोक कुमार ढोरिया
माहिया - डी के निवातिया
माहिया - डी के निवातिया
डी. के. निवातिया
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मेरे देश की बेटियों
मेरे देश की बेटियों
करन ''केसरा''
खुदा तो रुठा था मगर
खुदा तो रुठा था मगर
VINOD CHAUHAN
पापा की परी
पापा की परी
भगवती पारीक 'मनु'
लेखक कौन ?
लेखक कौन ?
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
Loading...