कुछ भी नहीं
गर चाहो तो नामुमकिन कुछ भी नहीं है।
है भुजबल की शक्ति कठिन कुछ भी नहीं है ।
ताकत ही उड़ने की देती है गवाही
पंखों में जो जज्बा नभ कुछ भी नहीं है
मदद गर करोगे तो वो भी साथ देगा
दुनिया में ईश्वर से बड़ा कुछ भी नहीं है
जो हो मन में आशा तो कुछ भी न है भारी
उम्मीदों के सम्मुख तम कुछ भी नहीं है।
सीमा से लौटा लाल तिरंगा लपेटे
आगे देश के माँ का गम कुछ भी नहीं है।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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