कुछ भी नहीं मुकम्मल है.
ये बातें नहीं अनर्गल है
आज तेरा तो मेरा कल है
आनी-जानी दुनिया में
कुछ भी नहीं मुकम्मल है
कभी शह कभी मात
मंजर बदलता पल-पल है
आनी-जानी दुनिया में
कुछ भी नहीं मुकम्मल है
कभी हवाएं थम सी-जाती
पल में हो जाती चंचल है
आनी-जानी दुनिया में
कुछ भी नहीं मुकम्मल है
कभी समस्याएं लगती कठीन है
पल में लगती बहुत सरल है
आनी-जानी दुनिया में
कुछ भी नहीं मुकम्मल है
सब छोड़ यहीं पर जाना है
फिर पूछता”विशाल”करता कोई क्यों छल है
आनी-जानी दुनिया में
कुछ भी नहीं मुकम्मल है.
राजीव विशाल (रोहतासी)
मो-8210666825