कुछ बेशकीमती छूट गया हैं तुम्हारा, वो तुम्हें लौटाना चाहता हूँ !
मिलने का तो मन ही नहीं हैं मेरा
पर आख़िरी मुलाक़ात करना चाहता हूँ
कुछ बेशकीमती छूट गया हैं तुम्हारा
वो तुम्हें लौटाना चाहता हूँ
घड़ी, रिंग , शर्ट, कंगा, और वो प्यारा लंच बॉक्स
कुछ भी अपने पास, नहीं रखना चाहता हूँ
कुछ बेशकीमती छूट गया हैं तुम्हारा
वो तुम्हें लौटाना चाहता हूँ
कुछ तसवीरें,कुछ वादे, कुछ आँसू और वो प्यारी यादें
मिलकर सब मिटाना चाहता हूँ
कुछ बेशकीमती छूट गया हैं तुम्हारा
वो तुम्हें लौटाना चाहता हूँ
कुछ किस्से, कुछ कहानियाँ और कविताएँ में छुपी “तुम”
आँखों ही आखों में पढ़कर सुनना चाहता हूँ
कुछ बेशकीमती छूट गया हैं तुम्हारा
वो तुम्हें लौटाना चाहता हूँ
तुम तो कब के भूल ही चुके हों मुझे
और मैं भी तुम्हें भुल जाना चाहता हूँ
कुछ बेशकीमती छूट गया हैं तुम्हारा
मिलकर ! वो तुम्हें लौटाना चाहता हूँ !
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