कुछ बेनाम कविताएं
रहने दो उन्हे बेनाम कविताएं
झाड़ों के झुरमुट में लिपटी लताएं,
सुलझाने की कोशिश न करना
क्यों रहने दो उलझी हम बताएं,
वो उलझी ही सुंदर हैं
एहसासों से सराबोर कविताएं,
क्या नाम दे उन्हें
नाम तय नहीं कर पायेगा कविताएं,
बेनाम ही सुंदर हैं
वो उलझी उलझी कविताएं,
अनामिका ही रहे
मेरी वो अनकही कविताएं ।।।
पद्मज़ा राघव