कुछ बात तो की होती।
मेरे प्रिय मित्र पिंकू वर्मा की अचानक रोड एक्सीडेंट में हुई बेवक्त मौत पर भाभी जी की हृदय व्यथा।
तुम ऐसे बिन बतायें क्यों चल दिए हो।
कुछ बात तो की होती,
कुछ हमसे कहाँ तो होता,
ऐसी भी क्या बेरुखी थी जो अचानक यूँ चल दिए हो।
अभी दिन में ही तो बात हुई थी…
फ़ोन पर तब तुम अच्छे भले बोल रहे थे !!
हमारी जिंदगी के बारें में हमसे…
कितना कुछ कह रहे थे !!
बेटा जो प्रश्न करेगा तो उसको क्या उत्तर मैं दूंगी।।
आपके बिन मैं दुनियां में कैसे जीवन व्यतीत करूँगी।।
सब अपनों से लड़ झगड़ कर…
तेरे प्रेम में आयी थी।
तूने भी संग मेरे इस रिश्ते की…
सदा ही लाज बचाई थी।
पुत्र मेरा अब किसके संग बाज़ार को जाएगा।।
अब जीवन में किसको वह अपनी जिद दिखायेगा।।
ईश्वर आपको भी…
जाने क्यों दया ना आई है।।
जो आपने मेरी कच्ची गृहस्ती में…
यह आग लगाई है।।
ना जानें कितने ही स्वप्न देखे थे हम दोनों ने संग मिलकर !!
कितनी जद्दोजहद में लगे रहते थे तुम इनको लेकर
दिन भर !!
एक ही तो पुत्र था…
जीवन की बगिया में हमारा तुम्हारा।।
उसके बारें में भी…
ना सोचा जो तुमने कर दिया उसको यूँ बेसहारा।।
तेरी प्रत्येक बात हमको बहुत ही सताएगी।।
तेरे संग बीते पलों की याद बहुत ही आएगी।।
वो तेरा हमको यूँ…
इतना टूटकर चाहना !!
मेरे रूठने पर वो…
तेरा हमको मनाना!!
कितना कुछ तो दे दिया है…
तुमने हमको सोचने के लिए।।
जानें क्यों इतनी जल्दी पड़ी थी…
तुमको यूँ मरने के लिए।।
चिता की अग्नि ने तुम्हें जब जलाया होगा,
कितना दर्द सिमट कर तुम्हारे हिस्से यूँ आया होगा।।
आह तो निकली होगी तेरे मुँह से दर्द की,
पर तूने उठकर ना किसी को यह सब बताया होगा।।
अब हम कर भी क्या सकते है…
इक रोने के सिवा।।
तुम्हारे लगाए एक पौधे को…
जीवन मे सींचने के सिवा।।
अब उसमें ही तुम्हारा अक्स में देख लिया करूँगी।।
देख देख कर उसको ही ये नीरस जीवन जी लिया करूँगी।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ