कुछ बातें ज़रूरी हैं
अच्छी मीठी बातें तो सब करते हैं
पर अच्छी सोच रखना ज़रूरी है ,
कमी तो पीछे हर कोई गिनाता है
पर कमी को सामने से बताना ज़रूरी है ,
ग़लतफहमी में रहना सबकी फितरत है
पर ग़लतफहमी मिटाना ज़रूरी है ,
झूठी तारीफ़ की चाशनी में डूबना सुखद होता है
पर झूठी तारीफ़ में थोड़ा सच का तीख़ा ज़रूरी है ,
रिश्तेदारियां तो बहुत होती हैं
पर रिश्तेदारी में रिश्ते बनाना ज़रूरी है ,
जलन उपर चढ़ने वालों से लाज़िमी है
पर जलन में थोड़ी बर्फ लगाना ज़रूरी है ,
दोस्ती तो सबसे होती हैं
पर दोस्ती को कायम रखना ज़रूरी है ,
तुम – मैं करना आदत सी बन गई है
पर तुम – मैं को हम समझना ज़रूरी है ,
स्वार्थी हो जाते हैं ज़्यादातर ख़ुदग़र्ज़
पर स्वार्थ का इलाज़ करना ज़रूरी है ,
वार तो सब छुपकर सब पर करते है
पर वार का पलटवार दिखना ज़रूरी है ,
नफ़रत का रंग सबकी नसों में भर गया है
पर नफ़रत के रंग में प्यार का रंग भरना ज़रूरी है ,
विचार सबके अलग-अलग होते हैं
पर विचार सबका देश के लिए एक रखना ज़रूरी है ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा )