Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Dec 2023 · 1 min read

कुछ फूल तो कुछ शूल पाते हैँ

कुछ फूल तो कुछ शूल पाते हैँ

*******************************

कुछ लुट जाते हैं तो कुछ लूट जाते हैं,
कुछ फूल पाते हैं तो कुछ शूल पाते हैं।

कुछ गरज के गर्जी जनहित क्या जाने,
कुछ याद आते हैं तो कुछ भूल जाते हैं।

मन मैल में मैले मय में मदमस्त मतवाले
कुछ धुल जाते हैं तो कुछ धूल पाते हैं।

कुछ कोप से कोपित क्रोधी हैं अपराधी,
कुछ गरमी से भरे तो कुछ कूल होते हैं।

कुछ फ़ितरत से भरे फितरती मनसीरत,
कुछ ब्याज में अंधे तो कुछ मूल होते हैं।
******************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

230 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
रिश्ते-नाते
रिश्ते-नाते
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
प्रभा प्रभु की
प्रभा प्रभु की
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सपना है आँखों में मगर नीद कही और है
सपना है आँखों में मगर नीद कही और है
Rituraj shivem verma
क्या मुकद्दर बनाकर तूने ज़मीं पर उतारा है।
क्या मुकद्दर बनाकर तूने ज़मीं पर उतारा है।
Phool gufran
वन गमन
वन गमन
Shashi Mahajan
Top nhà cái uy tín luôn đảm bảo an toàn, bảo mật thông tin n
Top nhà cái uy tín luôn đảm bảo an toàn, bảo mật thông tin n
Topnhacai
लुट गया है मक़ान किश्तों में।
लुट गया है मक़ान किश्तों में।
पंकज परिंदा
I love you
I love you
Otteri Selvakumar
*एकांत*
*एकांत*
जगदीश लववंशी
आंधियों में गुलशन पे ,जुल्मतों का साया है ,
आंधियों में गुलशन पे ,जुल्मतों का साया है ,
Neelofar Khan
****तन्हाई मार गई****
****तन्हाई मार गई****
Kavita Chouhan
पावन सच्चे प्यार का,
पावन सच्चे प्यार का,
sushil sarna
दे संगता नू प्यार सतगुरु दे संगता नू प्यार
दे संगता नू प्यार सतगुरु दे संगता नू प्यार
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
आशा ही निराशा की जननी है। - रविकेश झा
आशा ही निराशा की जननी है। - रविकेश झा
Ravikesh Jha
3024.*पूर्णिका*
3024.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हम
हम
हिमांशु Kulshrestha
अनमोल मोती
अनमोल मोती
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
कैसा होगा भारत का भविष्य
कैसा होगा भारत का भविष्य
gurudeenverma198
"" *सुनीलानंद* ""
सुनीलानंद महंत
.
.
*प्रणय*
"साहित्यकार और पत्रकार दोनों समाज का आइना होते है हर परिस्थि
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
मन  के बंद दरवाजे को खोलने के लिए
मन के बंद दरवाजे को खोलने के लिए
Meera Thakur
🙏दोहा🙏
🙏दोहा🙏
राधेश्याम "रागी"
वो
वो
Ajay Mishra
जिंदगी का सवाल आया है।
जिंदगी का सवाल आया है।
Dr fauzia Naseem shad
जमाने के रंगों में मैं अब यूॅ॑ ढ़लने लगा हूॅ॑
जमाने के रंगों में मैं अब यूॅ॑ ढ़लने लगा हूॅ॑
VINOD CHAUHAN
न जाने क्यों अक्सर चमकीले रैपर्स सी हुआ करती है ज़िन्दगी, मोइ
न जाने क्यों अक्सर चमकीले रैपर्स सी हुआ करती है ज़िन्दगी, मोइ
पूर्वार्थ
"काल-कोठरी"
Dr. Kishan tandon kranti
चांद अब हम तेरा दीदार करेगें
चांद अब हम तेरा दीदार करेगें
Dr.Priya Soni Khare
सब्र का फल
सब्र का फल
Bodhisatva kastooriya
Loading...