कुछ पंक्तियाँ
1
बस एक जलती सिगार ज़िन्दगी।
हर कश धुएँ का गुबार ज़िन्दगी।
झड़ गई एक चुटकी में ,
राख सी बेज़ार ज़िन्दगी ।
2
चेन नही तो आराम कहाँ ।
सुबह नही तो शाम कहाँ ।
उम्र गुजारी लिखते लिखते ,
हम बिके नही सो नाम कहाँ ।
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…. विवेक दुबे ©….