कुछ-न-कुछ तो करना होगा
कुछ-न-कुछ तो करना होगा।
खाली झोली भरना होगा।
आए थे हम पशुओं जैसे,
बड़े हुए हम पशुओं जैसे,
पर हतभागी यौवन को अब
रीता गागर भरना होगा।
कुछ-न-कुछ तो करना होगा।
कब तक पड़े रहेंगे ऐसे,
सुस्तों और निकम्मों जैसे,
जीवन के झंझावातों से
नहीं हमें अब डरना होगा।
कुछ-न-कुछ तो करना होगा।
निकल पड़े हैं रस्ते-रस्ते,
मिट जाएँगे हँसते-हँसते,
हम दीवानों की मस्ती से
जंजालों को डरना होगा।
कुछ-न-कुछ तो करना होगा।
दम बाजू के तौलेंगे हम,
तूफानों से खेलेंगे हम,
या तो जीवन तारे हमको
या जीवन को तरना होगा।
कुछ-न-कुछ तो करना होगा।