Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 May 2024 · 1 min read

कुछ ना करके देखना

सास ससुर की सेवा करने से
बच्चों का पालन पोषण करने से
अच्छा खाना बनाने से
घर को खूब सजाने से
घर को जगाने से लेकर सुलाने तक
हर काम पूर्णता से करने से
या फिर
बाहर जाकर कमाने से
पैसा घर में लाने से
मिलता है उसे
पति का प्यार…
और वह
इसी भ्रम में रह जाती है कि
मिलता हैउसे.. पति का निःस्वार्थ प्यार
ओ स्त्रियों!!
किसी रोज़
……. यह सब कुछ ना करके देखना!!!

65 Views
Books from Shweta Soni
View all

You may also like these posts

आँसू
आँसू
शशि कांत श्रीवास्तव
आपका लक्ष्य निर्धारण ही ये इशारा करता है कि भविष्य में आपकी
आपका लक्ष्य निर्धारण ही ये इशारा करता है कि भविष्य में आपकी
Paras Nath Jha
किसी ने दिया तो था दुआ सा कुछ....
किसी ने दिया तो था दुआ सा कुछ....
सिद्धार्थ गोरखपुरी
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
इश्क की अब तलक खुमारी है
इश्क की अब तलक खुमारी है
Dr Archana Gupta
हिन्दुस्तान जहाँ से अच्छा है
हिन्दुस्तान जहाँ से अच्छा है
Dinesh Kumar Gangwar
आज के इस स्वार्थी युग में...
आज के इस स्वार्थी युग में...
Ajit Kumar "Karn"
आज के युग में
आज के युग में "प्रेम" और "प्यार" के बीच सूक्ष्म लेकिन गहरा अ
पूर्वार्थ
स्नेहिल वर्ण पिरामिड
स्नेहिल वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
प्रश्न मुझसे किसलिए?
प्रश्न मुझसे किसलिए?
Abhishek Soni
आपकी याद जब नहीं है तो क्यूं,
आपकी याद जब नहीं है तो क्यूं,
Dr fauzia Naseem shad
■ अब सब समझदार हैं मितरों!!
■ अब सब समझदार हैं मितरों!!
*प्रणय*
क्षणिका ...
क्षणिका ...
sushil sarna
हमसफ़र नहीं क़यामत के सिवा
हमसफ़र नहीं क़यामत के सिवा
Shreedhar
तूफान सी लहरें मेरे अंदर है बहुत
तूफान सी लहरें मेरे अंदर है बहुत
डॉ. दीपक बवेजा
गुलाब के काॅंटे
गुलाब के काॅंटे
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
23/139.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/139.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
शालिग्राम तुलसी कहलाई हूँ
शालिग्राम तुलसी कहलाई हूँ
Pratibha Pandey
शीर्षक – वह दूब सी
शीर्षक – वह दूब सी
Manju sagar
*हिंदी की बिंदी भी रखती है गजब का दम 💪🏻*
*हिंदी की बिंदी भी रखती है गजब का दम 💪🏻*
Radhakishan R. Mundhra
"अपने की पहचान "
Yogendra Chaturwedi
तुझमें क्या बात है
तुझमें क्या बात है
Chitra Bisht
दर्द की शर्त लगी है दर्द से, और रूह ने खुद को दफ़्न होता पाया है....
दर्द की शर्त लगी है दर्द से, और रूह ने खुद को दफ़्न होता पाया है....
Manisha Manjari
"मयखाना"
Dr. Kishan tandon kranti
दुर्घटनाएं
दुर्घटनाएं
ललकार भारद्वाज
जिंदगी में मजाक करिए लेकिन जिंदगी के साथ मजाक मत कीजिए।
जिंदगी में मजाक करिए लेकिन जिंदगी के साथ मजाक मत कीजिए।
Rj Anand Prajapati
हर तरफ खामोशी क्यों है
हर तरफ खामोशी क्यों है
VINOD CHAUHAN
नसीब में था अकेलापन,
नसीब में था अकेलापन,
Umender kumar
दूर क्षितिज तक जाना है
दूर क्षितिज तक जाना है
Neerja Sharma
Loading...