कुछ नहीं है आज मेरे शब्दों के गुलदस्ते में, !!
कुछ नहीं है आज मेरे शब्दों के गुलदस्ते में, !!
कभी कभी मेरी खामोशियाँ भी पढ लिया करो.!!
ख़ामोशी बहुत कुछ कहती है कान लगाकर नहीं ,!!
दिल लगाकर सुनो…!!
अल्फ़ाज़ के कुछ तो कंकर फ़ेंको !!
यहाँ झील सी गहरी ख़ामोशी है !!
इश्क लिखना चाहा तो कलम भी टूट गयी…!!
ये कहकर अगर लिखने से इश्क मिलता तो …!!
आज इश्क से जुदा होकर कोई टूटता नही !!
कोई किसी से जुदा हो कर मरता नहीं …..!!
ये तो शौक है मेरा दर्द लफ्जो मे बयां करने का …!!
नादान लोग हमे युं ही शायर समझ लेते है. …!!
मीना सिंह राठौर
नोएडा उत्तर प्रदेश