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28 May 2023 · 1 min read

******** कुछ दो कदम तुम भी बढ़ो *********

******** कुछ दो कदम तुम भी बढ़ो *********
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चल दिये हम दो कदम कुछ दो कदम तुम भी बढ़ो,
भूल कर सारे वचन कुछ दो कदम तुम भी बढ़ो।

आ गई बरसात भी प्यासा हृदय भरने लगा,
खिल उठा उजड़ा चमन कुछ दो कदम तुम भी बढ़ो।

छोड़ दो शिकवे वहीं आओ हमारी रहगुजर,
बात पिछली कर हजम कुछ दो कदम तुम भी बढ़ो।

रात आई फिर वही दिल खोल आओ हमसफऱ,
आ गया वापिस वतन कुछ दो कदम तुम भी बढ़ो।

यार मनसीरत खड़ा दीदार दो झट दो घड़ी,
हैँ खुली बाँहें सनम कुछ दो कदम तुम भी बढ़ो।
***************************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
86 Views
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