कुछ दोहे
बिन सोचे समझे नहीं , करना भारत बंद
अच्छे दिन अब दूर हैं , बस कदमों पर चंद
दाल गलेगी अब नहीं,सुनो खोल कर कान
काला धन अब देश में, कुछ दिन का मेहमान
भौतिक सुख तो बढ़ गए , दुखी मगर सब लोग
हँसना भी देखो यहाँ , सीखें करके योग
लगता है अब देश के , सुधरेंगे हालात
कलयुग में होने लगी, सतयुग जैसी बात
मुस्कायेगा बस तभी, अपना हिंदुस्तान
हो जाएंगे एक जब, गीता और कुरान
डॉ अर्चना गुप्ता