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14 Jul 2022 · 1 min read

कुछ दोहे….

आपस की तकरार से, हुआ देश खल्लास।
बात-बात पर रार से, होता नहीं विकास।। १।।

खुशियाँ सारी लीलकर, लिख आती झट पीर।
घालमेल कुछ तो करे, मिल जग से तकदीर।।२।।

सूरज की किरणें पड़ी, जगमग जग के छोर।
दुम दबा कर शीत चली, जाता जैसे चोर।।३।।

चमचम चमके चाँदनी, खिली सँवर कर रात।
चंदा लेकर आ रहा, तारों की बारात।।४।।

दो गोलक में आँख के, सपने तिरें हजार।
कुछ होते साकार तो, कुछ हो जाते खार।।५।।

मन को अपने मार कर, काहे पड़ा निढाल।
सूरज की मानिंद चल, दमके उन्नत भाल।।६।।

पर्वत-चोटी लाँघकर, सब वृक्षों को फाँद।
उतरा मेरे आँगना, पूरनमा का चाँद।।७।।

© डॉ0 सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उत्तर प्रदेश )
“साहित्य किरण” में प्रकाशित

Language: Hindi
2 Likes · 239 Views
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