कुछ देर पहले
भयंकर विनाशक तूफान,
गुजरा इस गली से,
अभी कुछ देर पहले ।
गूंजती किलकारियां थी,
बाजार थे भरे हुए
हाथों में हाथ डाले
युवा जोड़े थे उद्यान में
अभी कुछ देरे प हले ।।
जीवन मेघ था वरसता
चहुँ ओर भी बस मस्तियां
दे खते ही दे खते चल पड़ी
तड़तड़ाती गोलियां
अभी कुछ देर पहले ॥
न जाने कौन थे वे
आ गये यमदूत बनकर
सबको मृत्यु का उपहार दे,
उड़ गये न जाने किस लोक को
अभी कुछ देर पहले ॥
माँ भी नाश से लिप टा
रो रहा था वह नौनिहाल
बिखरी पड़ी झोले सब्जियां
अरे! ये तो है बच्चा वहीं
जो ले रहा था टाफियां।।
जय प्रकाश श्रीवास्तव “पूनम “