कुछ तो है
एक अंजान से मिली मैं एक अनजानी सी ,
पता नहीं कब हो गयी हमारे बीच पहचान रिश्तेदारों सी ।
कुछ तो है पर पता नहीं ?
कुछ आगे बढ़े हम बातों-बातों में ,
एक बार मैंने खुद से पूछा , क्या हैं हमारे बीच ?
कुछ तो है पर पता नहीं ?
बातों का सिलसिला आगे बढ़ा ,
मिनटों से घंटों में बदला ,
मैंने फिर सोचा क्या हैं हमारे बीच ?
कुछ तो है पर पता नहीं ?
एक बार सोचा , उससे पूछ ही लूं क्या हैं हमारे बीच ?
उसने हंसकर कहा , है ना दोस्ती वाली प्यार हमारे बीच ।
मैंने कहा ये प्यार होता है क्या ?
कुछ तो है पर पता नहीं ?
आज हो गया इस रिश्ते को एक बरस ,
बहुत कुछ बदला है इस बरस में ,
पर इस रिश्ते में कुछ बदला ही नहीं ।
कुछ तो है पर पता नहीं ?
की महीने बीत गए इंतजार में ,
उसका कोई संदेश न आया था ,
मुझे लगा वो तो मुझे भूल ही गया ।
फिर एक दिन उसका फ़ोन आया ,
मैंने तो जैसे इंतजार का फल था पाया ।
कुछ तो है पर पता नहीं ?
ज्योति
(सही मायने में पहली बार प्यार का एहसास हुआ “किट्टू” – 21 अक्तूबर 2019)
नई दिल्ली