कुछ तो रुका है
कुछ तो रुका है, कुछ तो झुका है
रिश्तों को संभालने के लिए, हर दिल दुःखा है
आसान नहीं यूँ सब सहेज संभाल कर रखना
सब को खुश रखने में मान अभिमान फूंका है
पर क्या बुरा है थोड़ा बुरा हो जाना
नहीं करना तो ना ही कहना
थोड़ा स्वार्थी हो जाना, अपना हक पा लेना
थोड़ा वक्त अपने पर बिताना
क्यों जरुरी है सब कुछ संभालना,सब को खुश रखना
किसने बनाये नियम अच्छे बनने के,होने के
क्यों इन में बंध हर दिल झुका है, मन की सचाई स्वीकारने में रुका है ! क्यों………..